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सरोजनीनगर विधायक द्वारा आयोजित फ्री लीगल ऐड कार्यशाला का उद्घाटन: प्रो बोनो क्लब के प्रयास की सराहना

 प्रेस नोट – 06 अप्रैल 2024


सरोजनीनगर विधायक ने किया फ्री लीगल ऐड विषय पर कार्यशाला का शुभारम्भ, कहा प्रो बोनो क्लब के प्रयास सराहनीय

भारत में केवल 10 लाख लोगों तक फ्री लीगल ऐड की पहुँच चिंताजनक है -  डॉ. राजेश्वर सिंह

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लखनऊ। आज भारत में विधि परामर्श और विधिक सहायता के लिए भुगतान वहन कर पाने में अक्षम नागरिकों के लिए विधि संस्थानों को आगे आना चाहिए, क्योंकि सभी नागरिकों के लिए न्याय और समानता का अधिकार मौलिक अधिकार है। ये विचार व्यक्त किये हैं सरोजनी नगर से भाजपा विधायक एवं सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता डॉ. राजेश्वर सिंह ने। मौका था शनिवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में प्रो बोनो क्लब द्वारा आयोजित ‘समुदायों को सशक्त बनाना: निःशुल्क कानूनी सहायता के प्रभावी वितरण के लिए रणनीतियाँ’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के शुभारम्भ का।


कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे डॉ. राजेश्वर सिंह ने ज्ञानवर्धक कार्यशाला के शुभारम्भ को सौभाग्य की बात बताते हुए कहा कि साथ मिलकर, हमने प्रत्येक व्यक्ति के आंतरिक मूल्य और गरिमा को पहचानते हुए, मुफ्त कानूनी सहायता के माध्यम से न्याय तक पहुंच को मजबूत करने की रणनीतियों का पता लगाया। एक वकील के रूप में, मैं उन सुधारों का समर्थन करने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध हूं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि न्याय एक विशेषाधिकार नहीं बल्कि एक सार्वभौमिक अधिकार है।

 




डॉ. सिंह ने कहा कि दुनिया के अलग अलग देशों में वकीलों के लिए प्रतिवर्ष कुछ घंटे, प्रो बोनो या निशुल्क कानूनी सहायता अनिवार्य की गयी है, दक्षिण कोरिया में सभी वकीलों के लिए प्रतिवर्ष न्यूनतम 30 घंटे निशुल्क कार्य करना अनिवार्य है, जबकि अमेरिकी बार एसोसिएशन प्रतिवर्ष न्यूनतम 50 घंटे निशुल्क सेवा की सिफारिश करती है। 


डॉ. राजेश्वर सिंह ने राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में ज्ञानवर्धक कार्यशाला के शुभारम्भ को सौभाग्य की बात बताते हुए कहा कि साथ मिलकर, हमने प्रत्येक व्यक्ति के आंतरिक मूल्य और गरिमा को पहचानते हुए, मुफ्त कानूनी सहायता के माध्यम से न्याय तक पहुंच को मजबूत करने की रणनीतियों का पता लगाया। एक वकील के रूप में, मैं उन सुधारों का समर्थन करने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध हूं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि न्याय एक विशेषाधिकार नहीं बल्कि एक सार्वभौमिक अधिकार है।





सरोजनीनगर विधायक निशुल्क कानूनी सहायता विषय पर विस्तार से बताते हुए कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39A (42वां संशोधन ) के अंतर्गत सभी नागरिकों तक निशुल्क कानूनी सहायता सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है। संविधान के Article 14 और 21 भी कानूनी सहायता को रेखांकित करते हैं, शीला बरसे बनाम महाराष्ट्र सरकार जैसे प्रसिद्ध मामले निशुल्क कानूनी सहायता के महत्व को प्रदर्शित करते हैं।


डॉ. सिंह ने आगे जोड़ा कि सामाजिक न्याय सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, राष्ट्र हित में तथा आर्थिक सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग को निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराने से विशेष आत्म संतुष्टि की अनुभूति होती है, फिर भी पिछले वर्ष विभिन्न लीगल सोसाइटी द्वारा करीब 10 लाख लोगों को ही निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराई गयी।




डॉ. राजेश्वर सिंह ने स्कूली पाठ्यक्रम में कानूनी शिक्षा को अनिवार्य बनाने की वकालत करते हुए कहा कि बच्चों को अपने लीगल अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए उन्हें डिग्री कॉलेज पहुँचने से पहले ही मोटर वेहिकल एक्ट जैसे कानूनों के बारे में विस्तृत जानकारी होनी चाहिए, मैंने इसके लिए प्रधानमंत्री और शिक्षामंत्री को पत्र लिखने के अलावा सर्वोच्च न्यायालय में पीआईएल भी दाखिल की है।   


सरोजनी नगर विधायक ने डिजिटल शिक्षा के महत्व को प्रकाशित करते हुए बताया कि मैंने अपनी विधानसभा के 25 कॉलेजों में 250 कंप्यूटर प्रदान कर डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित की है, विधि विश्वविद्यालय के छात्र लोगों को कानूनी विमर्श प्रदान करने के लिए डिजिटल माध्यमों को अपना हथियार बनाए, वेबसाइट के माध्यम से लोगों से जुड़े, सप्ताहंत में लोगों से मिलें। इसके लिए विधायक ने हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन भी दिया।





डॉ. राजेश्वर सिंह ने न्याय के मुद्दे को आगे बढ़ाने में उनके अथक प्रयासों के लिए प्रो बोनो क्लब, विश्वविद्यालय के वीसी प्रोफेसर अमर पाल सिंह, प्रोफेसर दीपक कुमार चौहान, प्रोफेसर मनीष सिंह, डॉ विकास भाटी, श्री अमित खरे, डॉ अमन दीप सिंह और समस्त विश्वविद्यालय परिवार की सराहना की।


सौoगांव शहर की नई बातें, हिंदी समाचार- पत्र

सह- संपादक-- मनीष कनौजिया

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