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निःशुल्क 2 दिवसीय Natural Orgnic Multilayer Farming Workshop | Akash Chourasiya | Madhya Pradesh |

नमस्कार साथियों वन्देमातरम् जय गौमाता की 




Natural Organic Farming: Cultivating Harmony Between Agriculture and Nature"प्राकृतिक जैविक कृषि: कृषि एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य बनाये रखना"


प्राकृतिक जैविक खेती स्थिरता, जैव विविधता और पारिस्थितिक सद्भाव पर आधारित एक कृषि पद्धति है। यह प्राकृतिक आदानों के उपयोग, सिंथेटिक रसायनों को कम करने और मिट्टी के स्वास्थ्य और जैव विविधता को प्राथमिकता देने पर जोर देकर पारंपरिक खेती के तरीकों से अलग है।


Principles of Natural Organic Farming"प्राकृतिक जैविक खेती के नियम"

 

प्राकृतिक जैविक खेती कई मूलभूत सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होती है:

 

Soil Health"मिट्टी का स्वास्थ्य":

प्राकृतिक जैविक खेती कृषि की नींव के रूप में मृदा स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाती है। यह खाद, फसल चक्र और न्यूनतम जुताई जैसी प्रथाओं के माध्यम से स्वस्थ मिट्टी के निर्माण और रखरखाव पर ध्यान केंद्रित होता है। स्वस्थ मिट्टी विविध सूक्ष्मजीव जीवन का समर्थन कारक होती है, पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाती है और मजबूत पौधों के विकास में सहायक होती है।


Biodiversity"जैव विविधता":

जैव विविधता को प्रोत्साहित करना एक और महत्वपूर्ण भाग है। प्राकृतिक जैविक किसान अक्सर विविध फसलें लगाते हैं, पॉलीकल्चर (एक ही क्षेत्र में कई फसलें उगाना) अपनाते हैं, और लाभकारी कीड़ों और वन्यजीवों का समर्थन करने के लिए कई फसलों को शामिल करते हैं।

 

Avoidance of Synthetic Chemicals"सिंथेटिक रसायनों का त्याग":

प्राकृतिक जैविक खेती सिंथेटिक कीटनाशकों, शाकनाशी और उर्वरकों का पूरी तरह विरोध करती है। इसके बजाय, यह कीटों और बीमारियों के प्रबंधन के लिए फसल चक्र, सह-रोपण और जैविक कीट नियंत्रण जैसे प्राकृतिक तरीकों को बढ़ावा देती है।

 

Sustainability"स्थिरता":

स्थिरता पर ध्यान तात्कालिक कृषि पद्धतियों से भी आगे तक फैला है। इसमें संसाधन संरक्षण, कुशल जल उपयोग और भावी पीढ़ियों की जरूरतों से समझौता किए बिना दीर्घकालिक कृषि व्यवहार्यता को बढ़ावा देना शामिल किया गया है।


Key Practices in Natural Organic Farming"प्राकृतिक जैविक खेती में प्रमुख शाखायें"

 

Composting"खाद निर्माण":

जैविक अपशिष्ट पदार्थों से खाद निर्माण और उपयोग करना मिट्टी को आवश्यक पोषक तत्वों से परिपूर्ण करता है और इसकी संरचना में सुधार लाता है, जो स्वस्थ पौधों की वृद्धि में सहायता प्रदान करता है।

 

Crop Rotation and Polyculture"फसल चक्र और पॉलीकल्चर":

बारी-बारी से फसलें उगाने और विविध पौधों की प्रजातियों की खेती करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की पूर्ति में सहायक होता है, कीटों का दबाव कम होता है और खेत में एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र सदैव बना रहता है।

 

Biological Pest Control"जैविक कीट नियंत्रण":

लेडीबग्स, पक्षियों और लाभकारी कीड़ों जैसे प्राकृतिक शिकारियों को प्रोत्साहित करने से रासायनिक हस्तक्षेप का सहारा लिए बिना कीटों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

 

Cover Crops and Mulching"कवर फसलें और मल्चिंग":

कवर फसलें मिट्टी को कटाव से बचाती हैं, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती हैं और खरपतवार की वृद्धि को कम करती हैं। मल्चिंग से नमी का संरक्षण होता है, मिट्टी का तापमान नियंत्रित होता है और खरपतवारों का शमन होता है।

 

Water Conservation"जल संरक्षण":

ड्रिप सिंचाई, वर्षा जल संचयन और कुशल जल प्रबंधन प्रथाओं जैसे नियोजित तरीकों से पानी की बर्बादी कम होती है और इष्टतम उपयोग सुनिश्चित होता है।

 

Benefits of Natural Organic Farming"प्राकृतिक जैविक खेती के लाभ"

 

प्राकृतिक जैविक खेती से अनेक लाभ मिलते हैं:

 

Environmental Conservation"पर्यावरण संरक्षण":

यह मिट्टी के क्षरण को कम करता है, जल प्रदूषण को कम करता है और जैव विविधता को बढ़ावा देता है, पारिस्थितिक तंत्र और वन्य जीवन को संरक्षित करता है।

 

Healthier Food"स्वास्थ्यप्रद भोजन":

जैविक उत्पाद सिंथेटिक रसायनों से मुक्त होते हैं और उनमें उच्च पोषक तत्व स्तर हो सकते हैं, जो उपभोक्ताओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।

 

Soil Health"मृदा स्वास्थ्य":

मिट्टी की जैव विविधता और संरचना का पोषण करके, जैविक खेती दीर्घकालिक उत्पादकता के लिए टिकाऊ और उपजाऊ मिट्टी को बढ़ावा देती है।

 

Climate Resilience"जलवायु लचीलापन":

मिट्टी में कार्बनिक कार्बन पृथक्करण जैसी प्रथाएं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में योगदान करती हैं।

 

Socio-Economic Benefits"सामाजिक-आर्थिक लाभ":

जैविक खेती स्थानीय समुदायों को सशक्त बना सकती है, छोटे पैमाने के किसानों को समर्थन दे सकती है और ग्रामीण विकास को बढ़ावा दे सकती है।


Challenges and Future Prospects"चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ"

 

प्राकृतिक जैविक खेती के कई बड़े फायदे हैं, हलाकि चुनौतियां भी हैं। इनमें प्रारंभिक संक्रमण लागत, उपज में उतार-चढ़ाव और जैविक बाजारों तक सीमित पहुंच शामिल हैं। इसके अलावा, वैश्विक खाद्य मांग को पूरा करने के लिए जैविक खेती को बढ़ाना एक महत्वपूर्ण बाधा बनती है।

 

प्राकृतिक जैविक खेती का भविष्य तकनीकी नवाचारों, टिकाऊ प्रथाओं को अधिक से अधिक अपनाने, सहायक नीतियों और उपभोक्ता जागरूकता में निहित है। जैसे-जैसे समाज स्वास्थ्य, स्थिरता और पर्यावरणीय प्रबंधन को महत्व देता जा रहा है, जैविक उत्पादों की मांग दिनों- दिन बढ़ती जा रही है, जिससे जैविक खेती के तरीकों के विस्तार और शोधन के अवसर किसानों के सामने आ रहे हैं।




इन्ही चुनौतियों का सामना करने के लिए सागर, मध्य प्रदेश  के #Akash Chourasiya 10 वर्षों से लगातार प्रति माह 27 और 28 को चल रही निःशुल्क 2 दिवसीय #Natural Orgnic Multilayer Farming Workshop का आयोजन करतें हैं, जिसका120 वा सत्र संपन्न।


यह #Workshop उन्नत कृषि अभियान परिषद के तत्वावधान में 27 और 28 नवम्बर 2013 को प्रारंभ हुई थी जो बिना बाहरी आर्थिक मदत् के और बिना किसी अवकास के 120 सत्र पूरे कर चुकी है इस #Workshop का मुख्य उद्देश्य #Natural Orgnic Farming (प्राकृतिक जैविक खेती) के लिए #farmers (किसानों) को जागरूक करना और उन्हें स्वयं द्वारा नवाचारित #Multilayer Farming Process (मल्टीलेयर कृषि पद्धति) से अवगत कराना जो किसान को आत्मनिर्भर बनाती है और समाज को विष्मुक्त, गुणवत्ता युक्त भोजन उपलब्ध कराती है साथ किसान को #Farming (कृषि) से जुड़ी हर समस्या का सस्टेनेबल समाधान देना।



#World (देश दुनिया) के हज़ारो किसान लाभान्वित हुए यह सेवा कार्यशाला के रूप में  किसानों के हित में लगातार जारी इस कड़ी में 120 वे सत्र में किसानों ने #Nursary (नर्सरी) से लेकर #Product (उत्पाद) बनाने तक कृषि को अलग अलग रूप में अवलोकन किया किसानों ने कृषि के अनेक मॉडलो का अध्ययन किया।



#Workshop में किसानों ने कृषि व्यवस्था को समझा जो #Soil (मिट्टी) किसान को उत्पादन तो देती है परंतु उसका लाभ किसान के हाँथ में नहीं पहुँचता उसके लिए किसान को कार्य करने तरीक़े में बदलाव करना पड़ेगा।




जिसमे किसान को पहले मिट्टी का उपचार फिर मिट्टी में संतुलित और संपूर्ण भोजन फिर #Indian Envoirnment (भारतीय वातावरण) में फल देने वाले देशी बीज का प्रयोग फिर देशी बीजों का उपचार फिर कीड़े और बीमारियों हेतु प्राकृतिक उपायो का प्रयोग फिर उत्पादन का उत्पाद और उत्पाद को उचित मूल्य में उपभोक्ता तक पहुँचाना एससे कृषि उत्पादन के साथ गुणवत्ता भी बड़ेगी और किसान अपनी आय बढ़ाकर आत्मनिर्भर भी बन सकेंगे। इस पूरी प्रक्रिया में वर्तमान भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही हितकारी अनेक योजनाओ का लाभ लेकर सरकार के आत्मनिर्भर कृषि और किसान के अभियान को भी पूरा किया जा सकता है ! किसानों ने कार्यशाला में खाद बीज और दवाईयो के निक्सो पर भी प्रशिक्षण प्राप्त किया । 


निष्कर्ष

 

प्राकृतिक जैविक खेती कृषि के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का प्रतीक है, जो प्रकृति की लय के साथ मानवीय गतिविधियों का सामंजस्य स्थापित करने में सहायता करता है। मृदा स्वास्थ्य, जैव विविधता और स्थिरता को प्राथमिकता देकर, यह लचीला, स्वस्थ और पर्यावरण के अनुकूल खाद्य उत्पादन प्रणालियों की दिशा में एक मार्ग प्रदान करता है।

 

हालाँकि चुनौतियाँ बनी हुई हैं, प्राकृतिक जैविक खेती के लाभों की बढ़ती मान्यता एक आशाजनक भविष्य का संकेत की और ले जाती है। जैसे-जैसे हम आधुनिक कृषि की जटिलताओं से निपटते जा रहें हैं, पारिस्थितिक संतुलन और स्थिरता का समर्थन करने वाली प्रथाओं को अपनाना ग्रह और भावी पीढ़ियों की भलाई के लिए अनिवार्य हो जाता है।


#Akash Chourasiya (आकाश चौरसिया)

#Natural Orgnic Farming, Sagar, Madhya Pradesh (प्राकृतिक जैविक कृषि सागर मध्यप्रदेश)

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